मदर तेरेसा की जीवनी – Mother Teresa information in Hindi

मदर तेरेसा की जीवनी – Mother Teresa information in Hindi

खुद के लिए और अपने परिवार के लिए जिनेवाले आज हमे लाखो लोग मिल जाएंगे पर दुसरो के लिए समाज की सेवा के लिए अपना पुरा जीवन समर्पित कर देनेवाले बहुत कम लोग हमे दुनिया मे दिखाई देते है

ऐसे ही कुछ महान लोगो मे,समाजसेवको मे मदर टेरेसा जी का भी नाम आता है मदर टेरेसा जी वह इन्सान हे जिन्होने अपना पुरा जीवन समाज की गरीबो की सेवा हेतु लगा दिया था

आजके आर्टिकल मे हम मदर टेरेसा जी के बारे मे पुरी जानकारी प्राप्त करने वाले है इसलिए आर्टिकल को पुरा पढिए

मदर टेरेसा जी कौन थी

मदर टेरेसा गरीबो की एक मसिहा थी वह एक ऐसी हस्ती थी जिसमे दया,करूणा निस्वार्थ प्रेम की भावना कुटकुटकर भरी हुई थी

उन्होने अपना पुरा जीवन गरीब असाहाय्य बीमार लाचारो की सेवा के कार्य मे पुरी तरह समर्पित कर दिया था

मदर टेरेसा जी के मन मे हर इन्सान के लिए अनंत प्रेम और करूणा थी वैसे तो मदर टेरेसा जी मुलत भारत देश मे रहनेवाली इंसान नही थी मगर जब वो भारत मे आई तो यहा के लोगों से संस्कृती से प्रेम कर बैठी

जिसके बदोलत मदर टेरेसा जी ने अपना पुरा जीवन भारत मे बिताने का और यही रहकर लोगो की निस्वार्थ भाव से सेवा करने का उनकी मदत करने का निश्चय कर लिया

मदर टेरेसा का वास्तविक नाम क्या था?

मदर टेरेसा जी का वास्तविक नाम अग्नेस गोंजा बोयाजिजु ऐसा था

मदर टेरेसा इस नाम से लोगो ने उन्हे उनके समाज सेवा के कार्य की वजह से बाद मे सम्मानित किया था

मदर टेरेसा का जन्म कब और कहा हुआ था?

मदर टेरेसा जी का जनम 26 अगस्त 1910 मे स्काँप्जे नामक शहर तथा मसेदोनिया यहा हुआ था

मदर टेरेसा जी के पिता का नाम क्या था?

मदर टेरेसा जी के पिता का नाम निकोला बोयाजु था उनके पिता एक व्यवसायी थे

मदर टेरेसा जी की माता का नाम क्या था?

मदर टेरेसा जी की माता का नाम द्रना बोयाजु ऐसा था

मदर टेरेसा जी का प्रारंभिक,संपुर्ण जीवन तथा बचपण मे मिली सामाजिक सदभावना की शिक्षा –

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मदर टेरेसा जी के पिता प्रभु येशू के अनुयायी थे 1919 मे उनके देहांत के बाद मदर टेरेसा जी की परवरीश उनकी माँ ने की थी

मदर टेरेसा जी के पिता का देहांत हो जाने के बाद उनके परिवार को बहुत सारी आर्थिक कठिनाईयो से गुजरना पडा था

मदर टेरेसा जी के पिता जी का देहांत हो जाने के बाद उनकी और उनके भाई बहणो की सारी परवरीश उनके माँ ने ही अकेले की थी

मदर टेरेसा जी को उनकी माँ ने बचपण से ही हर चीज सबको मिल बाँटकर खाना सिखाया था मतलब बचपण मे ही उन्हे सामाजिक सदभावना की शिक्षा प्राप्त हुई थी

मदर टेरेसा जी ने उनकी स्कुल की पढाई भी बचपण मे पुरी कर ली थी बचपण से ही मदर टेरेसा जी की आवाज बहुत सुरीली और मिठी थी

मदर टेरेसा जी बचपण मे हर रोज अपनी माँ और बहण के साथ चर्च जाया करती थी और वहा प्रभु येशु की महिमा के गीत गाया करती थी

जब वो सिर्फ बारा साल की थी तभी वह चर्च के लोगों के संग एक धार्मिक यात्रा को निकल पडी थी इस यात्रा के बाद उनके मन मे बडा परिवर्तन हुआ

और उन्होने क्राईस्ट को अपना मुक्ती दाता मान कर प्रभु येशु के कहे गए सारे वचनो दुनियाभर मे लोगो तक फैलाने का निश्चय कर लिया

जब वह अठरा साठ की हुई थी तभी उन्होने बतिस्मा ले लिया था और क्राईस्ट को पुर्ण रूप से अपना लिया था

बतिस्मा लेने के बाद मदर टेरेसा जी ने फिर कभी अपने घर की तरफ मुडकर नही देखा ना इसके बाद वो कभी अपने माता तथा बहण से मिली इस तरह उन्होने पुर्ण रूप से खुदको प्रभु येशु की सेवा मे लगा दिया था

जब वह यहा की एक इंस्टिटयुट से ट्रेनिंग ले कर नन बनी तब उन्हे उनका असली नाम अग्नेस को हटाकर एक नया नाम दिया गया वह नाम था सिस्टर मेरी टेरेसा

और एक बार 1929 मे मदर टेरेसा जी जब इंस्टिटयुट तथा मिशनरी के किसी कार्य के लिए अपने सहकारी ननो के साथ भारत देश मे दर्जिलिंग नामक शहर मे आई तब उन्हो मिशनरी स्कुल मे पढाने की जिम्मेदारी दी गई

इसके बाद मदर टेरेसा जी कलकत्ता इस शहर मे आई थी यहा आकर उन्होने मिशनरी की तरफ से गरीब घर के लडकीयो को शिक्षा देने का काम किया

मदर टेरेसा हिंदी भाषा के साथ बंगाली भाषा भी बहुत अच्छी तरह से आती थी वो सारे बच्चो को हिस्टरी तथा जिओग्राँफी यह सब्जेक्ट पढाया करती थी

जब मदर टेरेसा जी कलकत्ता मे मिशनरी के काम से बच्चो को पढाने आई थी तब उन्होने यहा के लोगों की दरिद्रता,लाचारी,बीमारीयो को बहुत करीब से देखा था
लोगो की यह हालत देखकर मदर टेरेसा जी बहुत व्यथित हो गई थी

फिर उन्होने संकल्प लिया की वो कुछ ऐसा कार्य करेगी जिससे इन गरीब,अनाथ,लाचार बिमार इन्सानो के लिए हितदायक होगा जिससे उनकी मदत हो उनके दुख तकलीफे कम हो

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इस दौरान उन्होने सेंट मेरी नाम के स्कुल मे प्रिंसीपल का पदभार भी संभाला था

और इसके बाद मदर टेरेसा ने अपना सारा जीवन भारत मे रहकर यहा के गरीब अनाथ लाचार और बीमार लोगो की जीवनभर सेवा करने का फैसला लिया

जिसके बदोलत भारत सरकार ने उन्हे भारत रत्न पदम श्री जैसे पुरस्कार देकर आगे जा के सम्मानित भी किया

आग्नेस के इसी सामाजिक कार्य की वजह से लोगो ने उन्हे मदर की उपाधी प्रदान कर दी और वह मदर टेरेसा इस नामसे से मशहूर हो गई

मदर टेरेसा जी के जीवन मे घटीत कुछ महत्वपूर्ण बाते घटनाए –

● जब मदर टेरेसा जी मतलब आग्नेस कलकत्ता छोडकर मिशनरी के कुछ काम से दर्जिलिंग फिर से वापस जा रही थी तभी प्रभु येशू ने उन्हे संकेत दिया और कहा की तुम अपना अध्यापण का काम सदा के लिए छोड दो और अपना सारा जीवन यहा के गरीब लाचार बीमार लोगो की सेवा मे लगा दो पर मदर टेरेसा जीने मिशनरी का काम करने की आज्ञा का पालन करने का संकल्प ले लिया था इसलिए मिशनरी स्कुल का काम छोडने के लिए उन्हे सरकार की अनुमती लेना जरूरी था

1948 मे उन्हे यह काम छोडने के लिए मंजुरी मिल गई जिसके बाद उन्होने एक सफेद रंग की साडी का लिबाज अपनाया और लोगो की सेवा करने के कार्य के लिए खुदको सदा के लिए समर्पित कर दिया

इसके बाद मदर टेरेसा जी ने अनेक सामाजिक कार्य किए अनाथ बच्चो को रहने के लिए आश्रम खुद का एक सार्वजनिक आश्रम खोला.

इस समाजसेवा के काम को करने के लिए उन्होने बहुत तकलीफो का सामना किया इस समाज सेवा के कार्य के लिए उनके पास ज्यादा पैसे नही थे,क्योकी जहा से उनको थोडीसी आमदनी आती थी वह पढाने का काम उन्होने हमेशा के लिए छोड दिया था

इसलिये इन बच्चो का और खुद का पेट पालने के लिए उन्हे लोगो के आगे हाथ भी फैलाने की नौबत आ गई थी पर वह अपने काम से कभी पिछे नही हटी क्योकी उन्हे प्रभु पे भरोसा था की उन्होने यह मार्ग पे चलने को कहा है तो धीरे धीरे उन्हे राह भी वही दिखाएंगे

● आगे जाकर बहुत प्रयास करने के बाद मदर टेरेसा जी को 1950 मे मिशनरी चँरीटी बनाने की अनुमति मिल गई शुरू मे इस संस्था के अंदर सिर्फ दस लोग काम किया करते थे पर आज तीन हजार से भी अधिक महिला इस चँरीटी के लिए नन बनकर काम कर रही है लाखो लोग इस संस्था से आज जुड चुके है

● इस संस्था ने अंतर्गत अबतक अनाथ बच्चो के लिए वृदध लोगो के रहने के लिए आश्रम शुरू किए जा चुके है इस संस्था को जरूरतमंद बीमार लाचार गरीब लोगो की सेवा करने मदत करने हेतु मदर टेरेसा जी ने शुरू किया था

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● मदर टेरेसा जी ने इस कार्य के शुरूवाती दिन मे खुद कई बीमारो की अपने हाथो से सेवा की उनके घावो पर पटटीया बांधी

● जब कलकत्ता शहर मे एक ऐसी बीमारी आई थी जो सिर्फ किसी एक इंसान के छुने से दुसरे इंसान को लग जाती थी उस कठिन वक्त मे भी मदर टेरेसा जी ने कई मरीजो की अपने हाथो से सेवा की थी.मदर तेरेसा जी के इसी निस्वार्थ सेवा त्याग समर्पण की वजह से लोगो ने उन्हे मदर की उपाधी दी थी.भुखो को खाना देना नंगो को कपडे देना यह काम किया करती थी

● मदर टेरेसा के इसी सामाजिक कार्य की वजह से उन्हे रोम के पाँप जाँन पाँल ने अपनी तरफ से उनके मिशनरी के काम को दूसरे देशो मे जाकर फैलाने की अनुमती दे दी थी वेनेज्युला मे भारत के बाद पहले मिशनरी आँफ चँरीटी की स्थापना की गई आज यह संस्था सौ से भी अधिक देशो मे अपना कार्य कर रही है

● पर कहते है की अच्छे काम करने वालो को दुनिया बहुत विरोध किया करती है उन्हे परेशान करती है ऐसा ही मदर टेरेसा के साथ भी हुआ आगे जाकर उन पे यह आरोप लगाया गया की वह भारत के लोगो को अपने धर्म मे लाने के हेतु उनकी सेवा करती है जिस कारण लोग उन्हे ईसाई धर्म की प्रचारक के नाम से जानने लगे पर मदर टेरेसा ने किसी की कडवी बातो की तरफ ध्यान न देते हुए प्रभु पर भरोसा रखकर पुरी श्रदधा और लगन से समाज की गरीब अनाथ लाचार बीमार लोगो की सेवा का काम किया

मदर टेरेसा जी का देहांत कब और कहा हुआ था?

मदर टेरेसा जी का देहांत पाच सितंबर को 1997 मे भारत के कलकत्ता इस शहर मे हुआ था

मदर टेरेसा जी के कितने भाई बहण थे?

मदर टेरेसा जी को एक भाई और एक बहण थी

मदर टेरेसा जी का धरम कौन सा था?

मदर टेरेसा जी कँथलिक धरम की थी पर वह मानवता वादी विचार की महिला थी

मदर टेरेसा जी ने कौनसा अनमोल कार्य किया था?

मदर टेरेसा जी ने मिशनरी आँफ चँरीटी की स्थापना की थी

मदर टेरेसा जी की मृत्यु किस वजह से हुई थी?

मदर टेरेसा जी को बहुत सालो से किडनी की और दिल की बीमारी थी उन्हे उनके देहांत के पहले दो बार दिल का दौरा भी आ चुका था फिर भी उन्होने अपने समाजसेवा के कार्य को चालु रखा

पर दिनबदीन उनकी तबीयत ज्यादा बिघडने लगी तब आखीर उनको मिशनरी चँरीटी के हेड पद को मजबुरन छोडना पडा था

आखीर बीमारी की वजह से 5 सितंबर 1997 मे उनका स्वर्गवास हो गया.और यह महान आत्मा लाखो लोगो की माँ दुनिया को छोडकर हमेशा के लिए चली गई

मदर टेरेसा जी को अपने कार्य के लिए कौन कौन से अवाँर्ड मिले थे

● मदर टेरेसा जी को उनके कार्य के लिए भारत सरकार ने पदम श्री और भारतरत्न इन पुरस्कारो से सम्मानित किया था

पदमश्री से उन्हे 1962 मे और भारत रत्न पुरस्कार से 1980 से सम्मानित किया गया था

● मदर टेरेसा जी गरीब,असहाय्य बीमार लाचार लोगो की मदत किया करती थी और उनके इसी सामाजिक कार्य मानव कल्याण के काम के लिए उन्हे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था इस पुरस्कार मे प्राप्त सारी राशी को मदर टेरेसा जी ने गरीब बीमार और असहाय्य लोगो की मदत करने के कार्य मे लगाया था

● इसके अलावा अमेरिकन सरकार ने भी उन्हे 1985 मे मेडल आँफ फ्रिडम इस किताब से सम्मानित किया था

● 2003 मे उन्हे ब्लेस्ड टेरेसा आँफ कोलकत्ता इस नाम से सम्मानित किया गया था यह सम्मान उन्हे पोप जाँन पाँल ने दिया था